Sunday, February 27, 2011

कॉलेज के वोह सुहाने पल...

क्या सोचा था मैंने, क्या मैंने है पाया,

जाऊं मैं कैसे छोड़ के तेरा साया,

वोह दिन मस्ती के दोस्तों के संग,

दिल में लाखों थे अरमान और उमंग,

हर ख्वाइश देखि तेरे आँचल तले,

जाने मेरे मन में हज़ारों ख्वाब पले,

तुझसे हर किसी को मिली ज़िन्दगी में नयी डगर,

किसी को मिले दोस्त तो किसी को हमसफ़र,

सोचा नहीं था तुझसे बिछडने का होगा इतना गम,

फिर क्यों हो गयी है आज मेरी आँखें नम,

छुट रहा है यह जहाँ प्यारा,

धुंधला हो रहा है आसमां सारा,

नयी डगर पे हम सबको अब है चलना,

फिर एक नए मोड़ पे तुझसे है मिलना,

अब अलविदा कहने का वक़्त है आया,

मेरे नाम में रहेगा हर दम तेरा साया,

भूलूंगा नहीं फिर लौट के आऊंगा,

सबके संग फिर वही वक़्त बिताऊंगा,

नम आँखों से कहता हूँ सबको मैं अलविदा,

फिर मिलेंगे हम यह वादा रहा...